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पेनकिलर खाने वाले सावधान | painkiller is danger for health

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             पेनकिलर खाने वाले सावधान

painkiller- दर्द से तुरंत आराम पाने के लिए आप पेन किलर खा तो लेते हो लेकिन इसके होने वाले नुकसान से शायद आप अनजान हो | जी हा ! आपकी शरीर पर इसका नुकसान कुछ समय बाद किसी न किसी रूप मे दिखने लगता है |



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टैस्ट करने कि ज़रूरत नहीं - painkiller

सिरदर्द एक बहुत ही सामान्य समस्या है और तकरीबन 80% से 90% जनसंख्या अपने जीवनकाल में सिरदर्द से एक बार पीड़ित जरूर होती है और अगर हम चिकित्सकीय रूप से देखे तो 90% से 95% जो सिरदर्द होते हैं, वह साधारण सिरदर्द होते हैं। यदि सही तरह से इसके लक्षण जाने जाएं और बीमारी का इतिहास जान लिया जाए तो ज्यादातर मरीजों को किसी भी तरह के टैस्ट करने कि ज़रूरत नहीं होती है।


कुछ प्रकार के सिरदर्द में अलग से संकेत होते हैं। अगर वे लक्षण होते ह! तो ही dr.चिकित्सक जांच के लिए बोलते हैं, अन्यथा ज्यादातर मरीजों में कोई टेस्ट या जांच की जरूरत नहीं होती। जीवनशैली प्रबंधन व दवाइयों से आसानी से ही ठीक किया जा सकता है।



न्यूरो फिजिशियन व न्यूरोलोजिस्ट डॉ. नमित गुप्ता ने कहा कि 100 मरीजों में लगभग 80 से 85 वह मरीज होते हैं, जिनमें माइग्रेन या माइग्रेन जैसे स्पेक्ट्रम विकार से पीड़ित होते हैं। माइग्रेन एक तरह का मुख्य सिर के दर्द विकार है। सिर के दर्द को दो भागों में बांटते हैं, मुख्य सिरदर्द और सेकेंडरी सिरदर्द। मुख्य सिरदर्द कि श्रेणी में माइग्रेन एक तरह से सिरदर्द है।


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अक्सर लोग सिरदर्द का संबंध गैस या एसिडिटी से जोड़ देते हैं। यह इसलिए है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में माइग्रेन के मरीजों में जठरांत्र संबंधी लक्षण होते है जैसे दिल कच्चा होना, उल्टी करने का मन, पेट में भारीपन आदि। माइग्रेन का दर्द शुरू होने से पहले यह लक्षण हो सकते हैं और मरीज इसे गैस या एसिडिटी समझकर इसका उपचार करने में लग जाता है।



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अधिकांश समय मरीज बिना पर्ची के दर्द निवारक दवायें ले लेते हैं। नियमित दर्द निवारक दवायें लेने पर यह गुर्दे और जिगर पर खराब प्रभाव छोड़ता है। यह दवाइयां सिरदर्द को सिर्फ रोकती हैं, फिर वह चाहे माइग्रेन का दर्द हो, ट्यूमर का या दिमाग में किसी तरह की सूजन का।




यह उस बीमारी को दबा देगा और लगेगा की ठीक हो गया है पर अंदर ही अंदर वह बढ़ जाती है। अगर आपने 2-3 बार दर्द निवारक दवाइयां ली हैं और ठीक नहीं हुआ तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। चिकित्सक आपको कुछ खास दवा दे सकते हैं, जो दर्द निवारण में सहायक होंगे।
इन दवाओं का आपके दूसरे अंगों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा और रोगी लंबे समय तक ले सकता है।


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अक्सर सिर दर्द, पेट दर्द या बदन दर्द को कम करने के लिए हम कुछ ऐसे पेनकिलर्स ले लेते हैं जिनसे हमें कुछ समय

के लिए तुरंत आराम मिल सके। लेकिन हमारी थोड़ी सी लापरवाही इन दर्द की दवाओं को हमारे लिए ही दर्द बना सकती हैं।


दर्द से तुरंत आराम के लिए बिना प्रिस्क्रिप्शन मिलने वाली दवाएं 'ओवर द काउंटर ड्रग्स' (ओटीसी) कहलाती हैं जिनकी हल्की डोज से आपको आराम तो मिल जाता है लेकिन हमारी जरा सी चूक से हमें इनका साइड एफेक्ट भी झेलना पड़ सकता है।


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ये हो सकते हैं साइड एफेक्ट्स    - painkiller
- कॉन्सटपिशन या लूज मोशन्स।
- गैस्ट्रो-इन्टेस्टाइनिल समस्याएं।
- पेट में अल्सर या ब्लीडिंग।
- मानसिक स्मस्याएं जैसे अनिद्रा, ध्यान न लगना आदि।
- श्वास संबंधी दिक्कतें।
- त्वचा पर चकत्ते और खुजली या जलन।
- लंबे समय तक पेन किलर के इस्तेमाल से लिवर और किडनी तक के खराब होने का खतरा हो सकता है।





एक्सपर्ट की राय
पेन किलर दवाओं के इस्तेमाल को लेकर सीनियर फिजीशियन डॉ. के.सी. सूद का मानना है कि तेज दर्द में राहत के लिए ओटीसी दवाओं का हल्का डोज ले सकते हैं लेकिन इनपर निर्भरता बहुत खतरनाक हो सकती है। लंबे समय तक इन दवाओं का बिना सोचे-समझे या बिना डॉक्टरी परामर्श के सेवन करने से किडनी खराब होने तक का खतरा हो सकता है।



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हमेशा रखें इन बातों का ध्यान - painkiller
पेन किलर दवाओं के साइड एफेक्ट्स से बचने के लिए यह जानना भी जरूरी है कि आप पेन किलर लेते वक्त ऐसी कौन सी गलती कर रहे हैं जिससे आपको साइड एफेक्ट झेलना पड़ सकता है।


खाली पेट पेन किलर न लें – painkiller
खाली पेट पेन किलर दवाएं लेने से शरीर में गैस्ट्रिक या एसिडिटी बहुत अधिक बढ़ जाती हैं जिससे तबियत और बिगड़ सकती है। हमेशा पेन किलर लेने से पहले थोड़ी डाइट जरूर लें।



एल्कोहल से बरतें दूरी – painkiller
एल्कोहल और पेन किलर का कांबिनेशन आपको स्ट्रोक या हार्ट अटैक तक की स्थिति में पहुंचा सकता है। चूंकि पेन किलर दवाएं और एल्कोहल, दोनों ही एसिडिटी बढ़ाते हैं तो आप सोच सकते हैं कि इन दोनों का प्रभाव कितना नकारात्मक हो सकता है।




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पानी की कमी न होने दें –
भले ही आप दवा दो घूंट पानी से लेते हों लेकिन दवा लेने के बाद शरीर में पानी की कमी न हो इसका पूरा ध्यान रखें।

आप जब दवा लेते हैं तो किडनी के पूरे सिस्टम पर उसका सीधा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में अच्छी मात्रा में पानी के सेवन से दवाओं का टॉक्सिन तेजी से शरीर से बाहर निकलता है और साइड एफेक्ट की आशंका कम हो जाती है।



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दवा को तोड़ कर या क्रश करके न लें –
कई बार लोगों को पूरी गोली निगलने में दिक्कत होती है, खासतौर पर बच्चे दवा खाने में बहुत आनाकानी करते हैं। ऐसे में हम दवाओं को तोड़कर या क्रश करके उन्हें खिला देते हैं। ऐसे में दवा का पूरा डोज तेजी से शरीर में घुलता है और कई बार हमारा शरीर उसके प्रभाव को संभाल नहीं पाता


और यह दवा के ओवरडोज की तरह काम करता है।ऐसे में अगर आपको पूरी एक टैबलेट लेनी है तो उसे तोड़कर लेने के बजाय पूरी निगलें। हां, दवा के आधे डोज के लिए तोड़ने में कोई दिक्कत नहीं है।


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इसे अपनी लत न बनाएं –
कई बार लोग थकान मिटाने और दर्द से आराम के लिए पेन किलर दवाओं के इतने आदी हो जाते हैं कि दवाएं उनके रुटीन का हिस्सा हो जाती हैं।लंबे समय तक इनका इस्तेमाल किडनी, लिवर और कई मानसिक समस्याओं का कारण हो सकता है।



एक बार में एक से अधिक पेन किलर न लें-
दर्द कितना भी तेज हो लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप में एक से अधिक पेन किलर लें।किसी भी पेन किलर का प्रभाव पता चलने में कम से कम 15 से 30 मिनट तो लगते ही हैं। ऐसे में अगर आप बेसब्र होकर पेन किलर की ओवरडोज करेंगे तो ब्लीडिंग, किडनी फेल्योर, दिल का दौरा, ब्लड क्लॉटिंग जैसे साइड एफेक्ट ह हो सकते हैं।

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पेन किलर दवाओं की हल्की डोज आपके दर्द को राहत पहुंचाने के लिए ही है, लेकिन कई बार हमारी जरा सी लापरवाही दर्द कम करने के बजाय हमारे लिए और बड़े दर्द का सबक हो सकती है।





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